इन मंत्रों से कर सकते हैं आप अपनी कई समस्याओं का उपाय
क्या ऐसा हो सकता है की किसी समस्या का हल हमें मंत्रों से मिल जाए? समाधान....
क्या ऐसा हो सकता है की किसी समस्या का हल हमें मंत्रों से मिल जाए? समाधान....
क्या ऐसा हो सकता है की किसी समस्या का हल हमें
मंत्रों से मिल जाए? समाधान मंत्रों के पास अपना एक विज्ञान है, जो साउंड
एनर्जी (ध्वनी ऊर्जा) की तरंगों पर आधारित है। मन को एकाग्र करके जप करेंगे
तो पाएंगे की अभी प्रकार के असल में डर का नाश करके रक्षा करने वाले
शब्दों को मंत्र कहते हैं। मंत्र में दो शब्द होते हैं मं अर्थात मन को
एकाग्र करना, ‘त्र’ अर्थात त्राण यानि रक्षा करना। अतः जिस उच्चारण शब्द से
फल मिलता है, उसे मंत्र कहते हैं। आइए जानें कौन से मंत्र से किस समस्या
का निपटारा किया जा सकता है...
रामायण की चैपाई से लिए गए मंत्रों का श्रद्धा
और विश्वास से जप करें, समस्याओं का निवारण होगा। ये ना केवल बोलने में
आसान पर गाने में बेहद मीठी भी होती हैं।
रोजगार: बिस्वा भरण-पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत
अस होई।। गई बहोर गरीब नेवाजू सरल सबल साहिब रघुराजू।।
विपत्ति निवारण: जपहि नामु जन आरत भारी। मिटाई कुसंकट होहि सुखारी।।
विपत्ति निवारण: जपहि नामु जन आरत भारी। मिटाई कुसंकट होहि सुखारी।।
परीक्षा में सफलता: जेहि पर कृपा करहि जनु
जानी। कवि उर अजिर नचावहि बानी।। मोरि सुधारिहि सा सब भांति। जासु कृपा नहि
कृपा अघाती।।
विद्या प्राप्ति : गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।। नवग्रह शांति मोहि अनुचर कर केतिक बाता। तेहि महं कुसमउ नाम विधाता।।
विद्या प्राप्ति : गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्प काल विद्या सब आई।। नवग्रह शांति मोहि अनुचर कर केतिक बाता। तेहि महं कुसमउ नाम विधाता।।
यात्रा में सफलता : प्रविसि नगर कीजे सब काजा। हृदय राखि कौसलपुर राजा।।
परिवार सुख जबसे राम ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बढ़ाए।।
पुत्र प्राप्ति : प्रेम मग्न कौसल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
पुत्र प्राप्ति : प्रेम मग्न कौसल्या निसिदिन जात न जान। सुत सनेह बस माता बालचरित कर गान।।
नजर दूर करने के लिए: स्याम गौर सुन्दर दोऊ जोरी। निरखहिं छबि जननी तृन
तोरी।।
दांपत्य जीवन में सुख : रामहि चितव माप जिहि सिया। सो सनेहु सुख नहि कथानिया।।
दांपत्य जीवन में सुख : रामहि चितव माप जिहि सिया। सो सनेहु सुख नहि कथानिया।।
प्रेतबाधा निवारण: प्रनवऊं पवन कुमार खल वन
पावक ज्ञान धन। जासु हृदय आगार बसहि राम सर चापि धर।।
सुयोग्य वर: सुन सिय सत्य अशीश हमारी पूजहि मन कामना तिहारी।।
सुयोग्य वर: सुन सिय सत्य अशीश हमारी पूजहि मन कामना तिहारी।।
सर्व सिद्धि : भाव कुभाव अनख आलसहु। नाम जपत
मंगल दिशि दसहु।।
भ्रम निवारण : राम कथा सुंदर करतारी। संशय विहग उड़ावन हारी।। कुमार्ग से बचाव: रघुवंसिन कर एक सुभाऊ । मन कुपंथ पग धरहि न काऊ ।।
भ्रम निवारण : राम कथा सुंदर करतारी। संशय विहग उड़ावन हारी।। कुमार्ग से बचाव: रघुवंसिन कर एक सुभाऊ । मन कुपंथ पग धरहि न काऊ ।।
बटुक मंत्र मंत्र -ऊँ ह्रीं बटुकाय
आपदुद्धारणाय कुरू-कुरू बटुकाय ह्रीं। अनेक प्रकार की आपदाओं का निवारण
करने, धन, जन, सौख्य और पद-प्रतिष्ठा प्रदान करने वाला यह बटुक मंत्र बहुत
प्रभावशाली माना गया है।
लक्ष्मीदायक मंत्र मंत्र : ऊँ लक्ष्मीभ्यो नमः । जातक आर्थिक संकट से मुक्त हो जाता है। ऐसा ही यह लक्ष्मीदायक मंत्र है।
लक्ष्मीदायक मंत्र मंत्र : ऊँ लक्ष्मीभ्यो नमः । जातक आर्थिक संकट से मुक्त हो जाता है। ऐसा ही यह लक्ष्मीदायक मंत्र है।
ब्रह्मांड में स्थित नौ ग्रहों की शांति के लिए कौन सा मंत्र जपें जानिए...
सूर्य की अनुकूलता के लिए रविवार का व्रत करें। उनकी उपासना करके जल दें।
गेहूं, गाय, गुड़, तांबा व माणिक्य तथा लाल वस्त्र का दान दें।
ध्यान से यह मंत्र जप करें: ऊँ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यंच। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। ऊँ सूर्याय नमः ।।
बीज मंत्र - ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ।।
ध्यान से यह मंत्र जप करें: ऊँ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मत्र्यंच। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्।। ऊँ सूर्याय नमः ।।
बीज मंत्र - ऊँ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः ।।
चंद्रमा की अनुकूलता के लिए शिव की आराधना करें। मोती धारण करें और ध्यान
के लिए इस मंत्र का जप करें: ऊँ इमं देवा असपत्न सुवध्वं महते क्षत्राय
महते ज्येष्ठयाय महते जानराज्यायेन्द्रस्येन्द्रियाय इमममुष्य पुत्रममुष्यै
पुत्रमस्यै विश एष वोऽमी राजा सोमोऽस्मांकं ब्राह्मणानां राजा।।
बीज मंत्र - ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः ।।
बीज मंत्र - ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः ।।
मंगल की अनुकूलता के लिए मंगलवार का व्रत व शिवजी की स्तुति करें और ध्यान
के लिए निम्न मंत्र जप करें। ऊँ अग्निर्मूर्धा दिवः ककुत्पतिः पृथिव्या
अयम। अपां रेता सि जिन्वति।। बीज मंत्र - ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय
नमः।।
बुध की अनुकूलता के लिए बुध व अमावस्या का व्रत, गणेश पूजा करें। ध्यान के
लिए निम्न मंत्र जप करें: ऊँ उदबुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते
स सृजेथामयं च अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च
सीदत।।
बीज मंत्र - ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
बीज मंत्र - ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।।
गुरु की अनुकूलता के लिए गुरुवार का व्रत करें। बृहस्पति देव व गुरु की
पूजा करें। ध्यान के लिए इस मंत्र का जप करें: ऊँ बृहस्पते अति यदर्यो अहद्
द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु। यदीदयच्छवस ऋत प्रजात। तदस्मासु द्रविणं
धेहि चित्रम्।। बृहस्पतये नमः ।। बीज मंत्र - ऊँ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः
गुरुवे नमः।
शुक्र की अनुकूलता के लिए शुक्रवार का व्रत करें। ध्यान के लिए निम्न मंत्र
जप करें: ऊँ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत् क्षत्रं पयः सोमं
प्रजापतिः। ऋतेन सत्यम् इन्द्रियं विपान शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं
पयोऽमृतं मधु।। ऊँ शुक्राय नमः।। बीज मंत्र - ऊँ द्रां द्रीं द्रौं सः
शुक्राय नमः।।
शनि की अनुकूलता के लिए शनि का व्रत और महामृत्युंजय मंत्र का जप करें।
ध्यान के लिए निम्न मंत्र का जप करें: ऊँ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु
पीतये। शं योरभिस्रवन्तु नः ।। ऊँ शनैश्चराय नमः।। बीज मंत्र - ऊँ प्रां
प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
राहु की अनुकूलता के लिए मंगल, शनि व सोमवार का व्रत करें। शिवजी की पूजा
करें या महामृत्युंजय का जप करें। ध्यान के लिए इस मंत्र का जप करें। ऊँ
कया नश्चित्र आ भुवदूती सदा वृधः सखा। कया शचिष्ठया वृत। ऊँ राहवे नमः।।
बीज मंत्र - ऊँ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।
केतु की अनुकूलता के लिए मंगल, शनि व सोम का व्रत करें। ध्यान के लिए इस
मंत्र का जप करें। ऊँ केतुं कृण्वन्न केतवे पेशो मर्या अपनयशसे।
समुषद्भिरजायथाः।। ऊँ केतवे नमः ।। बीज मंत्र - ऊँ स्रां स्रीं स्रौं सः
केतवे नमः।
ऊँ सं सर्वारिष्टनिवारणाय नवग्रहेभ्यो नमः ।।
धन व समृद्धि को प्रदान करने वाले देवता गणेश हैं। सर्वप्रथम इनकी ही पूजा किसी शुभ कार्य के प्रारंभ में की जाती है।
गणपति वंदना इस प्रकार है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।
गणपति का सामान्य मंत्र है: ऊँ वक्रतुण्डाय हूं। ऊँ गणेशाय नमः।
धन व समृद्धि को प्रदान करने वाले देवता गणेश हैं। सर्वप्रथम इनकी ही पूजा किसी शुभ कार्य के प्रारंभ में की जाती है।
गणपति वंदना इस प्रकार है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।
गणपति का सामान्य मंत्र है: ऊँ वक्रतुण्डाय हूं। ऊँ गणेशाय नमः।
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